कविता के बहाने
अनुभूति और अभिव्यक्ति की यात्रा कथा ........
Tuesday, September 23, 2008
विस्मृति
पूर्वज,
चौराहों पर लगे,
कौओं और कबूतरों की
बीट से लिथड़े
तुम्हारे बुत।
तुम्हारी विस्मृति के
स्मृति-चिह्न ।
3 comments:
वर्षा
said...
सही है।
September 23, 2008 at 10:17 AM
Udan Tashtari
said...
सटीक!!
September 23, 2008 at 10:35 AM
Abhivyakti
said...
bhaut khoob !
September 24, 2008 at 4:27 AM
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3 comments:
सही है।
सटीक!!
bhaut khoob !
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