Thursday, September 25, 2008

दहशतगर्द

तुम
स्कूल जाते बच्चों के
बस्तों में
भर दोगे बारूद
परियों की कहानियों वाली
किताबों की जगह।
उनके नन्हे-मुन्ने हाथों में
पकड़ा दोगे
बंदूकें,
कलम की जगह ।
इमले की जगह
उनकी तख्ती पर
लिख दोगे इबारत
आतंक की।

तुम नोच लोगे
रंग
हर तितली के पंख से।
हर फूल की खुशबू को
बदल दोगे
सड़ांध में ।

तुम्हारे पैरों की आहट
हर संगीत को
तब्दील कर देगी
मरघटी सन्नाटे में।

प्रेम और संवेदना का
हर रिश्ता
बदल जाएगा
घृणा की बजबजाती कीचड़ में
तुम्हारे शापित स्पर्श से

तुम
नफ़रत की आग में
जला कर रख दोगे
हर फूल को
हर पत्ते को
हरियाली के एक एक रेशे को।

तुम हो दुश्मन
सुन्दरता के,
रचनात्मकता के,
प्रेम और जीवन के ,
और जीवन में जो कुछ है सुंदर
उस सब के।

तुम
छोड़ जाओगे
अपने
पीछे बस
धुएँ और धूल का गुबार
क्षत-विक्षत लाशें और
सडकों पर बिखरा
मासूमों का लहू

तुम
मज़हब के ,
धर्मयुद्ध के
नाम पर
बदलने में लगे हो
धरती को नर्क में ।
फरिश्तो के वेश में
तुम हो
नुमाइंदे शैतान के ।

खर-पतवार की तरह
एक दिन
तुम भी
उखाड़ कर फेंक दिए जाओगे।
मत भूलो कि
आए हैं तुम जैसे पहले
और भी
ध्वंस और नफ़रत की
लहरों पर सवार
पर मिट गए है सब
टकरा कर
मानवता की चट्टानी
जिजीविषा से

दोस्त
जल जाओगे
तुम भी एक दिन
अपने ही नर्क में
पड़े इतिहास के किसी
कूडेदान में।
और बहाएगा नहीं
कोई दो आंसू भी
तुम्हारे लिए।


3 comments:

Abhivyakti said...

yahi hoga nakaratmakta ka uchit ant !

manavta gun grahi hai ! avaguni nahi.

bahut sundar hashr bataya hai aapne

aatank ka!

abhinandan!

Anonymous said...

bahut sundar

योगेन्द्र मौदगिल said...

क्या बात है बंधुवर... बेहतरीन.. साधुवाद..