Wednesday, August 13, 2008

पत्थर

१-
छूकर जिसे अपने माथे से
बना दिया मैने ईश्वर,
उसी पत्थर की जद में है
आज मेरा सर।
२-
पत्थरों का घर
बनाने वालों की किस्मत में
होते नहीं
घर पत्थर के।
३-
लगे तो थे पत्थर
हम दोनों को ही
पर शायद मेरे माथे पर पड़ा था
और उसकी अक्ल पर।
४-
खोट विधाता
तेरी रचना में
शरीर मिट्टी का
संवेदनाए पत्थर की।

1 comment:

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

लगे तो थे पत्थर
हम दोनों को ही
पर शायद मेरे माथे पर पड़ा था
और उसकी अक्ल पर।
pathar ke baare mai itna kuch .meri ray main yah hai behatreen